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प्रकाशित रचनाएं

अमृत की कलम से

a.	अमृतराय एक विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति है उनका मुल्यांकन उनकी कृतियो के आधार पर किया जाना बहुत ही आवश्यक था, जिसे डॉ. बुलाकार ने अपने ढंग प्रस्तुत किया|

प्रकाशन

  • सुप्रिया प्रकाशन सागर -१९९७

मूल्य-

150/-

अपने समय के साहित्य पर सोचते हुए

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प्रकाशन

  • रचना प्रकाशन जयपुर-२००२

मूल्य

अपेक्षाएं हक नहीं होती

कविता में प्रेम प्रकृति की सुहावनी अदा है तो चिंता की धारा में किनारा ढूंढने की ललक भी होती है| जब कभी मेरे मर्म को चोट पहुँचती हैऔर कही अन्यायहोते देखती हूँ तो बैचैनी होने लगती है और तभी यकायक कविता फूटने लगती है| एकांत में सोच-चिंता कविता के लिएशब्द तलाशने लगते है|

प्रकाशन

  • शैवाल प्रकाशन गोरखपुर -२००५

मूल्य

175/-

बंगला साहित्यः सृष्टि और दृष्टी

बेशक, भारतीय साहित्य में बांग्ला साहित्य समृद्ध और प्रेरणादायी रहा है| विशेषकर आधुनिक बांग्लासाहित्य जो एक तरह से युग-निर्देशक की भुमिका निभाता रहा है| साहित्य की कमोवेश समस्त विधाओ पर बांग्ला साहित्य की अमिट छाप पड़ी है|

प्रकाशन

  • रचना प्रकाशन जयपुर-२००२

मूल्य

400/-

साहित्य विचार और अनुभूति

सर्जना और विवेचना की जितनी इमानदार कोशिशे इधर हुई है, वे साहित्य पर लगने वाले तमाम आरोपों-प्रत्यारोपों को बेबुनियाद साबित करने की दृष्टी पर्याप्त कही जा सकती है| वैचारिक स्तर पर विवाद-संवाद हुए है और उनसे कुछेक रचनाओं या रचनाकारों के साथ अन्याय हुआ है| ऐसी भी ध्वनियाँ सुनाई देती रही है, लेकिन कतिपय चूकों के बावजूद यह सच्चाई है, की सृजन और संवाद का दायरा बढानें में इसे मूल्यांकनो की अपनी जरुरी भुमिका रही है| 

प्रकाशन

  • अंसारी पब्लिकेशन, ग्रेटर नॉएडा-२०१२

मूल्य

300/-

हिंदी और बांग्ला : समशील उपन्यासकारों का तुलनात्मक अध्ययन

इस कृति की विशेषता यह है कि यहाँ अनावश्यक विस्तार में न जाकर लेखिका ने कथ्य और शिल्प की दृष्टी औपन्यासिक अध्ययन के प्रमुख आयामों को सुनिश्चित क्र उन पर ही ध्यान केन्द्रित किया है|

प्रकाशन

  • अमन प्रकाशन कानपूर -२०१३

मूल्य

800/-

अहमियत

रिश्तो  की सिकूड़न, स्वार्थ, मतलबपरस्ती को बेनकाब करती हुई ये अर्थपूर्ण कविताएं है| स्त्रियों की स्थिति, उनका आक्रोश, उनका शोषण भी इनमें पाठको को विचलित करता है| कमोबेश कविताओं में रिश्तों की अहमियत दृष्टिगोचर होती है| 

प्रकाशन

  • पार्वती प्रकाशन, इंदौर-२०१५

मूल्य

200/-

समीक्षा के आईने से- खंड १

किसी देश के साहित्य की समीक्षा-दृष्टि मूलतः उस देश के बाह्य और आभ्यंतर दोनों प्रकार की विशेषताओं से उत्पन्न होती है| समीक्षा की अंतिम साध्य मात्र साहित्य नहीं, जीवन भी है, उसकी प्रगति, विकास, व्याख्या, खोजबीन, दूरदृष्टि समीक्षक को समीक्षा दृष्टी प्रदान करती है|

प्रकाशन

  • पार्वती प्रकाशन, इंदौर-२०१५

मूल्य

250/-

शोध सृजन परिदृश्य

साहित्य की संस्कृति का एक पक्ष सृजन-परिदृश्य होता है, तो दुसरे पक्ष में अभिव्यक्ति कला होती है| साहित्य प्रथमतः और अंततः एक भाषिक संरचना है, यह मानवीय अभिव्यक्ति का संश्लिष्ट और उत्कृष्ट-रूप है, जो मानव संवेदना की तह तक पहुँचने का काम करती है, साथ ही समाज के साथ रूबरू होने और विचारो तक जाने का काम करती है, जब किसी देश के इतिहास, दर्शन,  राजनीती, मनोविज्ञान, सामाजिक आदि के संबंद में उसके ग्रंथो में अनजाने में झांकते है तो भाषा के माध्यम से अन्य देश के पुरे समाज का सह्रदय भाव प्राप्त कर लेते है, तब तुलनात्मक अध्ययन का स्त्रोत कहलाता है|

प्रकाशन

  • रंग प्रकाशन, इंदौर-२०१६

मूल्य

225/-

समय प्रवाह

कवि/कवयित्री होने का अर्थ है- गणना से परे रहना और पेड़ की तरह बढना| वसंत उन्हीं के लिए आता है, पर उन्हीं के लिए, जो समानता के एहसास के बीच जीते है, जो निरासक्त, खामोश और विराट हैं|

प्रकाशन

  • पार्वती प्रकाशन, इंदौर-२०१६

मूल्य

150/-

आलोचना के बहाने

आगे बढने के लिए एक-एक सीढ़ी से चढ़ना होता है, उसी तरह सृजन या रचना, पहली सीढ़ी से होते हुए दूसरी सीढ़ी आलोचना है- अर्थात रचना की पुनर्रचना ही आलोचना है| 

प्रकाशन

  • रंग प्रकाशन, इंदौर-२०१६

मूल्य

200/-

अंतर्द्वन्द

परिवार समाज ही नहीं, अपने समय के संपूर्ण परिदृश्य तथा मानवीय चरित्रों के सूक्ष्म पक्षों को कविताओं में बुना गया है| समय के यथार्थ को विभिन्न स्तर पर खंगालने वाली ये रचनाएँ अपने प्रतिदिन के इर्द-गिर्द से परिचित कराते हुए यह साबित करना चाहती है, कि जीवन की समग्रता किस प्रकार छोटी-छोटी बातो या क्षण प्रतिपल से सम्बध्द है|

प्रकाशन

  • बोधि प्रकाशन, जयपुर- २०१७

,मूल्य

120/-

समकालीन साहित्य : विविधस्वर

विभिन्न अनुभव जो हमारे जीवन में घट चुका होता है, जो अचरज, व्यंग, सीख आदि में लिप्त है, लेखक का मंतव्य होता है कि वह अपने अनुभव और यादों को संस्मरण के माध्यम से लोगों में बांटे, ये सत्यकथा होती है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता, क्योंकि वह प्रमाणिकता की कठोर ड़ोर से बंधा होता है|

प्रकाशन

  • रंग प्रकाशन, इंदौर-२०१७

मूल्य

125/-

समीक्षा के आईने से – खंड २

समीक्षा कार्य वैसे भी बहुत श्रमसाध्य कार्य है| इसमें पूर्वाग्रह की कहीं गुंजाईश नहीं रहती, सामाजिक प्रेषणयता  का प्रश्न बहुत होता है| साथ ही आज की साहित्य चर्चा में सबसे अधिक उलझन और भ्रम की स्थिति सधारानीकरण और समाजीकरण को लेकर है|

प्रकाशन

  • अयन प्रकाशन, दिल्ली-२०१८

मूल्य

280/-

समीक्षा के आईने से – खंड ३

वास्तव में जातीयता एक विचार दृष्टी या जीवन-दृष्टी है, जो अपने तरीके-दृष्टी से समस्त व्यापार का आंकलन करती है| जातीयता एक विजन है, यह किसी भी विषय या प्रसंग घटना को अपना उपजीव्य बना सकता है| इस दृष्टि से समीक्षक का महान कर्तव्य होता है, कि वह रचना में अंतर्निहित शक्तियों को अनावृत्त करे| साथ ही उन तत्वों को भी सामने लाए जो रचना को संपुष्ट करने में बाधक है|

प्रकाशन

  • पार्वती प्रकाशन, इंदौर-२०१८

मूल्य

200/-

साहित्य मीमांसा : शोध परक दृष्टी

सृजन के समय साहित्यकार का चिंतन बहुत मायने रखता है| वह समाज को क्या देना चाहता है, इसकी रुपरेखा तय की जाकर सृजनकर्म सार्थक होता है| शोधात्मक तथ्यों को सामने लाते समय जोखिम भी आड़े आते हैं| यथार्थ की प्रस्तुति तुलनात्मक अनुशीलन कई सीमाए संभावनाएं साथ मिलकर की जाती है| 

प्रकाशन

  • हिंदी परिवार, इंदौर -२०१९

मूल्य

300/-

रविन्द्र नाथ टैगोर और अन्य प्रतिनिधि बांगला रचनाकार

मैं समझता हूँ साहित्य में अनुवाद का जितना महत्व है, उतना ही विभिन्न भाषाओँ क साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन का है| जिस प्रकार अनुवाद हमें देशी-विदेशी भाषाओँ के साहित्य से परिचित कराती है, उसी प्रकार तुलनात्मक अध्ययन भी एनी भाषाओँ के लेखन को जानने-समझने का अवसर देता है| लेखिका ने कई रचनाकारों के कृतित्व का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है|

प्रकाशन

  • बोधि प्रकाशन, जयपुर-२०२०

मूल्य

199/-

अंतर्मन

अंतर्मन में निहित विचार भावनाओं का उद्दवेलन कविता को जन्म देता है| अभिव्यक्ति अंतर्मन की पहचान होती है | समाज, परिस्थिति और रचनाकार की स्वयं की दृष्टि सम्पन्नता ही उसका पाथेय बनती है| कविता अंतर्मन के बीज से उपजी वह कोपल है, जो अपनेसाथ कईयों को विचलित करने का सामर्थ्य रखती है|

प्रकाशन

  • प्रेरणा प्रकाशन, भोपाल- २०२०

मूल्य

200/-

पाश्चात्य और भारतीय प्रगामी आलोचना

प्रकाशन पर है|

प्रकाशन

  • बोधि प्रकाशन, जयपुर-२०२

मूल्य

सृष्टि और दृष्टी, द्वितीय संस्करण

बेशक, भारतीय साहित्य में बांग्ला साहित्य समृद्ध और प्रेरणादायी रहा है| विशेषकर आधुनिक बांग्लासाहित्य जो एक तरह से युग-निर्देशक की भुमिका निभाता रहा है| साहित्य की कमोवेश समस्त विधाओ पर बांग्ला साहित्य की अमिट छाप पड़ी है|

प्रकाशन

  • रचना प्रकाशन जयपुर-२०२१

मूल्य



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