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श्रीमती बूला कार का जन्म बाकुंडा पश्चिम बंगाल में हुआ. आपका संपूर्ण जीवन उपलब्धियो एवं गौरवगाथाओं का सम्मिश्रण हैं. वर्तमान में डॉ. कार प्राचार्या के पद से सेवानिवृत्त होकर अपना जीवन पूर्णतः साहित्य साधना को समर्पित कर चुकी हैं अपने जीवन में सभी दायित्वो को सफलतापूर्वक निर्वाह करते हुए डॉ. कार आज भी अत्यंत उर्जावान समर्पित एवं उत्साही दिखाई देती हैं अत्यंत मृदु स्वभाव व साहित्य के प्रति अगाध भक्ति आपको क्षेत्र व देश भर के साहित्यकारों के मध्य लोकप्रिय तथा श्रद्धेय बनाता हैं. अपने साहित्यिक जीवन का आरम्भ अत्यंत कम आयु में करने के पश्चात आपको अत्यंत विख्यात व प्रतिभाशाली साहित्यकारों का मार्गदर्शन व स्नेह प्राप्त हुआ साहित्य की लगभग हर विधा में आपकी रचनायें कई प्रतिष्ठित समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्र पत्रिकाओ में प्रकाशित व प्रसिद्ध हो चुकी हैं.

सुख का गणित

सुंदर रंगबिरंगी / छोटी सी चिडिया ऑगन में फुदकती / कुछ चोंच में उठाकार लौटती है घोंसले में , तिनके –तिनके जोडकर / बनाती है कलात्मक घर मीठे गीत गाकर/सुलाती है बच्चे, उठाती है हमे. खुश रहकर बॉटती है,आत्मीयता, खुला आसमान,ठंडी,गरम हवा पानी का सोता,अन्न का भंडार………



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